Friday, January 5, 2018

एक चिट्ठी दीपिका पादुकोण के नाम...

Article by Nisha Rai.
डियर दीपिका,
साल 2007... बॉलीवुड के किंग ऑफ रोमांस शाहरुख खान और साथ में तुम... ड्रीमी गर्ल... यानि दीपिका पादुकोण... सच में किसी ड्रीम गर्ल से कम नहीं थी तुम... जितना खूबसूरत चेहरा... उतनी प्यारी स्माइल... पहली नजर में ही बेहद खूबसूरत लगी थी तुम... लेकिन तब ये नहीं सोचा था कि एक फिल्म हीरोइन, जिंदगी का इतना बड़ा हिस्सा बन जाएगी।
पिछले 11 सालों से तुम मेरी फेवरेट हिरोइन हो... लेकिन इसके लिए सिर्फ तुम्हारी फिल्में जिम्मेदार नहीं है... मैं तुम्हें पसंद करती हूं क्योंकि तुम एक अच्छी इंसान हो... जिस तरह तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ी हो वैसे ही मैंने भी अपनी जिंदगी का अब तक का सफर तय किया है। फर्क सिर्फ ये है कि तुम एक सुपरस्टार हो और मैं एक आम लड़की।
साल 2009... तुम्हारी फिल्म लव आजकल रिलीज हुई थी...मैं कॉलेज में थी... तुम्हें परदे परदे पर देखा... बिल्कुल अपनी सी लगी 'मीरा'... एक मजबूत लड़की, जिसे कोई ब्रेकअप नहीं तोड़ सकता... वो अपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड की भी दोस्त बन सकती है... और बिना कुछ कहे अकेले अपना प्यार निभा भी सकती है... उसी वक्त ठाना था कि मीरा की तरह बनना है... मजबूत... जब रणबीर से तुम्हारा ब्रेकअप तुम टूट गई... लेकिन तुमने हिम्मत नहीं हारी... और लगातार आगे बढ़ती रही...साल 2012... तुम 'कॉकटेल' में हिरोइन नहीं थी... लेकिन 'वेरोनिका' को देखकर लगा कि लाइफ तो इसकी तरह ही जीनी बिल्कुल बिंदास होकर... एकदम मस्त... अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने हैं.. चाहे जो हो जाए...
साल 2013... तुम्हारे करियर और मेरी जिंदगी का सबसे अहम साल... जहां तुम 4 सुपरहिट फिल्में देकर सुपरस्टार बन गई... वहीं मुझे भी मेरी पहली जॉब मिली... पहली बार फील हुआ कुछ तो कनेक्शन जरूर है...
तुम एक बार फिर रणबीर के साथ दिखी और उन सभी बातों को झुठला दिया कि एक्स कभी दोस्त नहीं होते... तुम्हें देखकर न जाने कितनी लड़कियों की सोच बदल गई...
और फिर वो दौर भी आया जब तुमने अपने डिप्रेशन की बात कबूली... पहली बार ये एहसास हुआ कि तुम भी हमारी तरह एक आम लड़की हो... जिसे हर छोटी बात से फर्क पड़ता है...
लेकिन तुम्हारा सबसे अलग रूप देखा तुम्हारे पैरेंट्स के साथ... तुम भी हमारी तरह अपने पैरेंट्स के लिए सिर्फ उनकी बेटी हो... जिसे घर जाने पर जल्दी उठना पड़ता है और मां का हाथ बंटाना होता है...
दीपिका मैं तुम्हें इसलिए पसंद नहीं करती... क्योंकि तुम एक सुपरस्टार हो। तुम एक सुपरस्टार होते भी एक आम लड़की हो... जिसकी जिंदगी में हमारी तरह ही खुशी और गम है। लेकिन हर मुश्किल को पीछे
छोड़ तुम्हें आगे बढ़ती हो हमेशा... इसलिए तुम मेरी फेवरेट हो...
(थैंक्यू सो मच हमेशा मेरे साथ रहने के लिए)

लव यू ढेर सारा...हमेशा ऐसी ही रहना...

तुम्हारी फैन... "एक आम लड़की, जिसकी जिंदगी को तुमने खास बनाया।

Monday, October 12, 2015

इंदौर डायरी - 16

आदतन वह आज भी ऑनलाइन था फेसबुक पर। रात के लगभग 9:12 बजे थे और तभी उसके मैसेज बॉक्स में लिखा आया, 'हैलो।' यह उसी का मैसेज था जिसने बीती रात यह कहा था कि आपके साथ टाइमपास करने के लिए ही चैट कर रही हूं और उसने उसे बाय बोल दिया था। उसने दो मिनट तक कोई जवाब नहीं दिया उस मैसेज का। इस दौरान वह सोचता रहा कि बात शुरू की जाए या नहीं। आखिरकार उसने जवाब दिया, 'हैलो, कैसी हो?' दूसरी तरफ से झट से जवाब आया, 'अच्छी हूं, तुम कैसे हो? मेरे सच बोलने से गुस्सा क्यों हो गए थे कल?' उसने जवाब दिया, 'हां, लेकिन अब नहीं हूं, क्योंकि तुमने कम से कम सच तो बोला।' जवाब में लिखा आया, थैंक्यू, बाद में बात करती हूं। आज मुझे नींद आ रही है। गुड नाइट। बाय।' एक बार फिर उस अनजान से बात शुरू होने के बाद वह बहुत खुश था।
‪#‎इंदौरडायरी‬ - 16

Thursday, October 8, 2015

इंदौर डायरी - 15

रात के 10:02 बजे फेसबुक पर उसके मैसेज बॉक्स में नोटिफिकेशन दिखने लगा। उसने देखा तो पता चला कि मैसेज उसी का है, जिसने बीती रात उससे बात करने की बात कही थी। उसने हैलो लिखा था। उसने भी जवाब में हैलो लिख दिया। फिर मैसेज आया, 'आप क्या हर किसी से बात कर लेते हो?' उसने जवाब दिया, 'अभी तक तो किसी ने बात नहीं की। हां, तुमने जरूर मेरे मैसेज का जवाब दिया।' उधर से लिखा आया, 'ओहोहोहो।' उसने लिखा, 'तुम्हारी दीदी चली गई?' दूसरी तरफ से मैसेज आया, 'हां, दीदी चली गई है और मैं अपने कमरे में अकेले बोर हो रही हूं इसलिए फेसबुक पर आपसे चैट कर रही हूं।' उसने लिखा, 'हम्म्म्म। तुम केवल अपनी बोरियत दूर करने के लिए मुझसे बात कर रही हो?' दूसरी तरफ से लिखा आया, 'मैं झूठ नहीं बोलूंगी और मेरा जवाब हां में ही है। यदि आपको पसंद नहीं तो मैं बात नहीं करूंगी।' उसने लिखा, 'ओके, बाय।'
‪#‎इंदौरडायरी‬ - 15

Wednesday, October 7, 2015

इंदौर डायरी - 14

फेसबुक पर वह अकसर अनजान लोगों को मैसेज भेजा करता था, लेकिन उनमें से किसी का भी जवाब किसी ने नहीं दिया था। उस दिन उसने तय किया था कि वह अंतिम बार किसी अनजान शख्स को मैसेज भेजेगा और इसका कोई जवाब नहीं आया तो ऐसा करना बंद कर देगा। उसने शाम के 5:21 बजे एक अनजान शख्स को मैसेज भेजा। काफी देर तक कोई जवाब नहीं आया तो उसने सोच ही लिया था कि अब से यह सब बंद। रात के 10:46 बजे दूसरी तरफ से मैसेज आया, 'हैलो।' इसके बाद उसने पूछा, 'कैसी हो?' उधर से जवाब आया, 'मैं बढ़िया हूं, आप कैसे हैं?' इसके बाद उधर से मैसेज आया, 'आप कल रात में भी ऑनलाइन रहेंगे क्या?' उसने जवाब दिया, 'हां, मैं तो अकसर ही रात में ऑनलाइन रहता हूं।' फिर उधर से चैट बॉक्स में लिखा आया, 'तो फिर आपसे कल बात करती हूं, अभी मेरी दीदी आई हुई हैं। कल वो चली जाएंगी तो मैं भी फ्री रहूंगी। टाइमपास के लिए आपसे बात कर लूंगी। बाय। गुड नाइट। स्वीट ड्रीम्स।' 
‪#‎इंदौरडायरी‬ - 14

Monday, October 5, 2015

इंदौर डायरी - 13

वह ऑफिस से लौटा ही था कि उसके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। उसने कॉल रिसीव किया तब पता चला कि दूसरी तरफ बचपन की एक मित्र है, जिसके साथ उसकी स्कूलिंग हुई थी। उसने उसका हालचाल पूछा। साथ ही एक सवाल जो अकसर उससे उसे जानने वाले किया ही करते थे, 'शादी कब कर रहे हो?' उसने सवाल को टालते हुए कहा, आजकल कहां हो? उसने बताया वह चेन्नई में है क्योंकि उसके पतिदेव की नौकरी वहीं है। उसके बाद उसके सुख-दुख के किस्से शुरू हो गए। लेकिन, उसने दोबारा अपना सवाल दोहराया, तुमने बताया नहीं कि शादी कब कर रहे हो? उसने एक लंबी सांस लेकर कहा, जब होनी होगी, हो जाएगी। मित्र ने कहा, ऐसा क्यों बोल रहे हो, क्या हुआ है। तुम चाहो तो मुझे सारी बात बता सकते हो। हो सकता है तुम्हारे दिल का बोझ कुछ हल्का हो जाए। आंखों में आंसू लिए हुए रूंधे गले से उसने उसे शुरू से लेकर उस दिन की सारी बात बयां कर दी।

Sunday, October 4, 2015

इंदौर डायरी - 12

आज सुबह से ही उसका मन उदास था। रह-रह कर उसे कुछ अंदर से साल रहा था। क्या, उसे पता तो था लेकिन शायद वह जमाने के सामने जाहिर नहीं करना चाहता था। उसने बहुत सोचने के बाद मोबाइल उठाया और सर्च ऑप्शन में टाइप करने लगा। स्क्रीन पर उसका नाम चमकने लगा था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कॉल बटन को क्लिक कर पाए। तभी अचानक मोबाइल पर दिखने लगा ..... कॉलिंग। उसके लिए अजीब स्थिति हो गई। सोचने लगा कॉल रिसीव करूं या काट दूं। इस बीच मोबाइल की घंटी आठ-नौ बार बज चुकी थी। जैसे ही दसवीं घंटी बजी उसने कॉल रिसीव कर लिया। उधर से आवाज आई, 'कैसे हो?' उसने जवाब दिया, 'ठीक हूं।' उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन, उसने फिर भी यह बोला था। उधर से आवाज आई, 'एक बात पूछुंगी तो बताओगे।' उसने कहा, 'हां, पूछो ना। क्या पूछना है।' 'तुम शादी क्यों नहीं कर रहे हो? मेरे लिए कब तक इंतजार करोगे? तुम्हारे चक्कर में घरवाले मुझे भला-बुरा बोल रहे होंगे।' इसके साथ ही उधर से रोने की आवाज आने लगी और अगले ही पल कॉल काट दिया गया। वह यही सोच रहा था कि आज भी मैं उसके सवाल का जवाब नहीं दे सका।
‪#‎इंदौरडायरी‬ - 12

Friday, October 2, 2015

इंदौर डायरी - 11

वह बहुत खुश था। आज उसका बर्थडे था और इस खास मौके को सेलिब्रेट करने के लिए वह दिल्ली आया था। दिल्ली में उसने अपने एक दोस्त के यहां अपना सामान पटका और जल्दी से तैयार होकर निकल पड़ा। दोस्त ने पूछा खाना नहीं खाएगा क्या, तो उसका जवाब था- यार लेट हो जाउंगा तो मैडम नाराज हो जाएंगी। मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने में लगने वाला समय बचाने के लिए उसने रिक्शा कर लिया जिसने वहां के लिए किराया मांगा- 30 रुपये। रिक्शेवाला ज्यादा मांग रहा था लेकिन उससे मिलने की जल्दी में उसने बहस नहीं किया और फौरन बैठ गया और उसे जल्दी से जल्दी स्टेशन पहुंचाने के लिए कहा। मेट्रो स्टेशन पहुंच कर ट्रेन पकड़ी और अपने गंतव्य राजीव चौक पहुंचा। वहां वह तय समय से 20 मिनट पहले ही पहुंच गया था। अब वह स्टेशन पर ही आते-जाते लोगों को देखते हुए इंतजार करने लगा। वह आई तो उसने अपनी बांहें फैलाईं और उसने भी बर्थडे विश करते हुए कहा, 'हैप्पी बर्थडे ...।' तभी अचानक कुछ लोग आए और उसे खींचकर उससे दूर ले जाने लगे। उसे धक्का लगा और वह गिर पड़ा। उसकी नींद टूट गई थी और वह एक बार फिर से तन्हा था।
‪#‎इंदौरडायरी‬ - 11